Explanation : सल्तनत काल में दाग और चेहरा प्रथा की शुरुआत अलाउद्दीन खिलजी ने की थी। अलाउद्दीन खिलजी 1296 ई. में गद्दी पर बैठा था, उसने अपने शासन काल के दौरान दाग और चेहरा प्रथा को लागू किया। दाग प्रथा में घोड़ों और चेहरा प्रथा में सैनिकों के बारे में जानकारी रहती थी। इसे हुलिया रखना भी कहते है, बाद में शेरशाह तथा अकबर ने इसे नए सिरे से लागू किया। इसके अलावा अलाउद्दीन ने दीवान-ए-मुश्तकराज के पद का सृजन किया जिसका प्रमुख कार्य राज्य के बकाया राजस्व को एकत्रित करना। उसने खाद्यान्न और कपड़ा बाजार की भी स्थापना की। उसने दीवान-ए-रियासत और शाहना-एमंडी नामक विभागों की भी स्थापन की जो कि बाजार को नियंत्रित करने से सम्बंधित थे।