कांग्रेस का विभाजन किस अधिवेशन में हुआ था? 

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Explanation : कांग्रेस का विभाजन सूरत अधिवेशन में हुआ था, जो 1907 में हुआ था। बनारस अधिवेशन के पश्चात उदारवादी तथा उग्रवादी दल के मतभेद तीव्र गति से बढ़े। उग्रवादी सूरत कांग्रेस का सभापति लोकमान्य तिलक को बनाना चाहते थे, परन्तु उदारवादी इसके पक्ष में नहीं थे। तिलक और लाल लाजपतराय को सभापति के पद के संघर्ष में पड़ना उचित न लगा और दोनों ने अपना नाम वापस ले लिया। फलतः उदार दल के डॉ. रास बिहारी घोष इस अधिवेशन के सभापति नियुक्त हुए। पारस्परिक विरोध की इस स्थिति में कांग्रेस का सम्मेलन ‘शोरगुल का निन्दनीय नाटक’ बन गया और थोड़े ही समय में स्थिति नियन्त्रण के बाहर हो गई। जूतों व छड़ियों द्वारा भी परस्पर प्रहार किए गए और अंत में पुलिस द्वारा बलपूर्वक भवन खाली कराने पर ही शांति स्थापित हो सकी। अगले दिन 1,600 में से 900 प्रतिनिधियों की, जो उदारवादी थे, एक सभा हुई, जिसमें यह निश्चय किया गया कि 100 व्यक्तियों की एक समिति कांग्रेस का विधान तैयार करे। इन व्यक्तियों ने जो कांग्रेस का विधान तैयार किया, उग्रवादी उन शर्तों को नहीं मान सकते थे। अतः वह कांग्रेस में सम्मिलित नहीं हुए और कांग्रेस पर उदारवादियों का प्रभुत्व बना रहा।

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