गांधी इरविन समझौता को और किस नाम से जाना जाता है? 

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Explanation : गांधी इरविन समझौता को ‘दिल्ली समझौता’ नाम से भी जाना जाता है। सर तेजबहादुर सप्रू और डॉ. जयकर के मध्यस्थता प्रयत्नों के परिणामस्वरूप 17 फरवरी, 1931 को महात्मा गांधी और लार्ड इरविन की बातचीत प्रारंभ हुई जो (15 दिन तक) 4 मार्च, 1931 तक चली। गांधी-इरविन बातचीत के परिणामस्वरूप 5 मार्च, 1931 को एक समझौता हआ जो गांधी-इरविन समझौता के नाम से जाना जाता है। इसमें हिंसा के आरोपियों को छोड़कर बाकी सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करने, भारतीयों को समुद्र के किनारे नमक बनाने का अधिकार देने, भारतीयों को अब शराब तथा विदेशी कपड़ों की दुकानों के सामने धरना देने इत्यादि मांगों को मान लिया गया था। कांग्रेस की ओर से गांधीजी ने सविनय अवज्ञा स्थगित कर द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेना स्वीकार किया।

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