Explanation : गांधी-इरविन समझौता दिल्ली में 5 मार्च, 1931 को हस्ताक्षरित हुआ। सर तेजबहादुर सप्रू और डॉ. जयकर के मध्यस्थता प्रयत्नों के परिणामस्वरूप 17 फरवरी, 1931 को महात्मा गांधी और लार्ड इरविन की बातचीत प्रारंभ हुई जो (15 दिन तक) 4 मार्च, 1931 तक चली। गांधी-इरविन बातचीत के परिणामस्वरूप 5 मार्च, 1931 को एक समझौता हआ जो गांधी-इरविन समझौता के नाम से जाना जाता है। इस समझौते के अनुसार सरकार ने अनेक आश्वासन दिए, जिसमें निम्न थे– 1. उन हिंसात्मक कार्य करने वाले अपराधियों को जिन पर अपराध सिद्ध हो चुका है, छोड़कर अन्य राजनीतिक बन्दियों को मुक्त कर दिया जाएगा। 2. वह सभी आपातकालीन अध्यादेशों को वापस ले लेगी। 3. आंदोलन के दौरान जब्त सम्पत्ति उनके स्वामियों को वापस कर देगी। 4. सरकार शराब, अफीम तथा विदेशी वस्त्र की दुकानों पर शान्तिपूर्ण पिकेटिंग करने की अनुमति प्रदान करेगी। 5. समुद्र तट से एक निश्चित दूरी में रहने वाले लोगों को बिना किसी कर के नमक इकट्ठा करने तथा बनाने देगी। 6. जो जमानतें व जुर्माने अभी वसूल नहीं हुए हैं, उन्हें वसूल नहीं किया जाएगा और अतिरिक्त पुलिस वापस ले ली जाएगी। 7. जिन सरकारी कर्मचारियों ने आंदोलन के समय नौकरी से त्यागपत्र दे दिए थे, उन्हें नौकरी में वापस लेने में सरकार उदारनीति अपनाएगी।
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