Explanation : बिरसा मुंडा विद्रोह 1895-1901 ई. में हुआ था। मुंडा विद्रोह का नेता बिरसा मुंडा था। मुंडा विद्रोह को उलुखानी विद्रोह भी कहते हैं। यह विद्रोह छोटा नागपुर क्षेत्र (झारखंड) में 1895-1901 ई. में हुआ था। इन जनजातियों में सामूहिक खेती होती थी, जिसे ‘खूंटकट्टी’ कहते थे। लेकिन महाजनों, जमीदारों, ठेकेदारों ने सामूहिक खेती पर हमला बोला। इस कारण इन्होंने विद्रोह कर दिया। इनका यह विद्रोह ‘सरदारी लड़ाई’ के नाम से प्रसिद्ध था। 1895 के बाद बिरसा ने विद्रोह का नेतृत्व किया। इस विद्रोह में महिलाओं ने भी हिस्सा लिया था। बिरसा मुंडा को 1900 में सिंहभूम में गिरफ्तार कर लिया गया। यहीं पर 3 फरवरी, 1900 को हैजा से इनकी मृत्यु हो गई। ये जनजातियां गैर आदिवासियों को ‘दिकू’ कहती थी। बता दे कि आदिवासियों के महानायक बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के आदिवासी दम्पति सुगना और करमी के घर हुआ था। भारतीय इतिहास में बिरसा मुंडा एक ऐसे नायक थे, जिन्होंने भारत के झारखंड में अपने क्रांतिकारी चिंतन से उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में आदिवासी समाज की दशा और दिशा बदलकर नवीन सामाजिक और राजनीतिक युग का सूत्रपात किया।